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लेखनी प्रतियोगिता -08-Oct-2022


देखो कभी 
इन रास्तों को

रस्ते नहीं दृष्टांत हैं
ये चिर मुखर चिर शांत हैं।

ये किसी को 
कभी भरमाते नहीं
सबको पहुंचाते हैं लेकिन
खुद कहीं जाते नहीं।

जीवन हो या संसार हो
एक राह ही है
इस छोर से उस छोर का
प्रवाह ही है।

कितने आये गए मगर
संसार वहीं है
इसका सबसे रिश्ता तो है
अधिकार नहीं है।

कल कोई था आज नहीं है
जो आज है कल नहीं होगा
लेकिन ये दुनिया ये रस्ते 
इनका वास यहीं होगा।

लोग आते हैं रास्तों पर
जैसे दुनिया में आते हैं
कुछ देर का सफर तय
करके घर को लौट जाते हैं।





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10 Comments

Suryansh

11-Oct-2022 06:19 PM

बहुत ही उम्दा और संदेश देती हुई कविता

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Pratikhya Priyadarshini

10-Oct-2022 07:55 PM

Bahut khoob 🌺👍

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Muskan khan

09-Oct-2022 06:47 PM

Very nice 👌

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